लेखक:
अखिलेश मिश्र
जन्म : 22 अक्टूबर, 1922, सेमरौता, रायबरेली (उ.प्र.)। विश्वविद्यालय में अध्यापन के प्रस्तावों को ठुकराकर हिन्दी पत्रकारिता को अपना पेशा बनाया क्योंकि ‘जनता के पहरुए कूकुर’ की भूमिका पसन्द थी। ‘अधिकार’ से पत्रकारिता आरम्भ कर वह ‘स्वतंत्र भारत’ (लखनऊ), दैनिक जागरण (गोरखपुर), स्वतंत्र चेतना (गोरखपुर), ‘स्वतंत्र मत’ (जबलपुर) आदि दैनिक समाचार-पत्रों के सम्पादक रहे। साक्षरता अभियान में उनका अमूल्य योगदान रहा। समय-समय पर उन्हें अनेक पुरस्कार-सम्मान दिए गए लेकिन उन्होंने कोई सम्मान स्वीकार नहीं किया। पुस्तकें : धर्म का मर्म (2003), पत्रकारिता : मिशन से मीडिया तक (2004) तथा पाँवों का सनीचर (2005) के अलावा साक्षरता अभियान के तहत लिखी गई कई पुस्तकें प्रकाशित हैं, इनमें कुछ हैं : मुकद्दर की मौत (1991), गाँव में जादूगर (1992), बन्द गोभी का नाच (1992), प्रधान का इलाज आदि। कुछ अनुवाद भी प्रकाशित जिनमें अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के मूलतत्त्व (मार्ग्रेट तथा हेराल्ड स्प्राउट कृत) तीन खंडों में (उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा प्रकाशित एवं सम्मानित), लालबहादुर शास्त्री (लेखक के. आर. मनकेकर, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार), मार्क्स तथा आधुनिक सामाजिक सिद्धान्त (एलेन स्विंजवुड, 1974) उल्लेखनीय हैं। शोध-पत्र : ए फैलेसी फेस्ड (2002 में लखनऊ विश्वविद्यालय में जमा किया गया)। अन्तिम समय तक लेखन के साथ-साथ जनान्दोलनों में भी सक्रिय भागीदारी। मानवाधिकारों के लिए सतत् संघर्षशील रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में विज़िटिंग प्रोफेसर भी रहे। निधन : 22 नवम्बर, 2002 (लखनऊ)। |
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1857 अवध का मुक्ति संग्रामअखिलेश मिश्र
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1857 अवध का मुक्ति संग्राम... आगे... |
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पाँवों का सनीचरअखिलेश मिश्र
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इसमें तत्कालीन समाज में स्त्रियों की स्थिति-नियति का संवेदनापूर्ण ढंग से चित्रण हुआ है आगे... |